अनुसंधान परिषद सीएसआईआर-सीईसीआरआई का सबसे महत्वपूर्ण निकाय है, जिसका उद्देश्य निर्णय क्षमता, भर्ती तथा अनुसंधान एवं विकास कार्यों सम्बंधी लोक-नीति में सुधार, सार्वजनिक सदभाव में वृध्दि तथा विद्युतरसान विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सम्बंधी मामलों में वैशिष्टय के प्रापण तथा प्रचार-प्रसार को बढ़ावा देना है। अनुसंधान परिषद की स्वतंत्र, वैशिष्टयपूर्ण रिपोर्ट तथा वैज्ञानिक कार्य भारतीय लोगों के जीवन में सुधार लाने में सक्षम नीतियों तथा कार्रवाइयों को निर्देशित करते हैं।
सीएसआईआर नियमावली के अनुसार अनुसंधान परिषद में:-
(i) पांच बाह्रा विशेषज्ञ शामिल होंगे, जिनमें से एक को अध्यक्ष नामित किए जाऐं
(ii) भारत सरकार से सम्बध्द वैज्ञानिक विभागों/एजंसियों के प्रतिनिधि शामिल होंगे
(iii) प्रयोगशाला के निदेशक शामिल होंगे
(iv) सहयोगी प्रयोगशाला के निदेशक/वरिष्ठ वैज्ञानिक शामिल होंगे
महानिदेशक/उनके प्रतिनिधि स्थाई आमंत्रित होंगे. क्रमांक (i), (ii), तथा (iv) के सदस्यों का मनोनयन महानिदेशक द्वारा किया जाएगा। परिषद के सचिव का मनोनयन निदेशक द्वारा किया जाएगा । परिषद सचिवालय का कार्यभार सम्बध्द प्रयोगशाला देखेगी. नामित सदस्यों का कार्यकाल तीन वर्ष का होगा। एक वर्ष में परिषद की कम से कम दो बैठके आयोजित किया जाना आवश्यक है ।
कार्य:
अनुसंधान परिषद के कार्य:
· पांच वर्षीय योजनाओं, राष्ट्रीय प्राथमिकताओं तथा नवीन प्रौद्योगिकीय अवसरों को ध्यान में रखकर संस्थान की भविष्य के अनुसंधान योजनाओं तथा कार्यों की रूपरेखा बनाने हेतु परामर्श देना .
· सीएसआईआर की अन्य प्रयोगशालाओं के साथ साझे विषय क्षेत्र में नेटवर्किंग संबंधी सुझाव देना .
· अनुसंधान एवं विकास कार्यों तथा अनुसन्धान कार्यक्रमों की समीक्षा तथा भविष्य की दिशा निर्धारण हेतु सुझाव देना.
· प्रयोगशाला, उद्योग तथा संभावित ग्राहकों के मध्य संपर्क को और बेहतर बनाने हेतु सुझाव देना.
· वैज्ञानिकों के चयन, योग्यता तथा मूल्यांकन पदोन्नति के लिए चयन तथा मूल्यांकन समितियों/समकक्ष समूह का गठन करना.
· महानिदेशक तथा शासी निकाय द्वारा प्रदत्त अन्य कार्य.
अनुसन्धान परिषद की कार्यवाही का अनुमोदन इसके अध्यक्ष द्वारा किया जायेगा । अध्यक्ष की अनुपस्थिति में परिषद के जिस सदस्य द्वारा बैठक की अध्यक्षता की जायेगी, उसके द्वारा ही इसकी कार्यवाही अनुमोदित की जाएगी । महानिदेशक, इस परिषद् के किसी भी निर्णय में संशोधन कर सकते हैं तथा वही सर्वमान्य होगा ।
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